एक गजल
ऐ दोस्त! ओ मेरे दोस्त, रहना जरा तुम बचके,
जाना कभी हो तुम्हे जब, प्यार के पनघट पे।
लगते हैं अक्सर प्यार में, कुछ ऐसे-ऐसे झटके,
कि लगते हैं टूटने वो, भोले दिलों के मटके,
ऐ बंधू मेरे अपने दोस्त, रहना तुम संभलके।
दिल के हुए टुकड़े इतने, बेवफ़ाई के खंजर से कटके,
जो फंदे बुने थे उसने, जी रहा उसमे लटके-लटके,
साथी मेरे दोस्त ज़िगरी, बर्बाद न होना प्यार करके।
बीते न थे दिन अभी ज़्यादा, प्यार में कली को चटके,
निकल आये काँटे नुकीले, बिखरा ज्यूँ फूल फटके,
तभी कह रहा हूँ मेरे यार, रखना कदम सोच करके।
प्यार में था पहले पागल, खोया सबकुछ आशिक़ बनके
आँखों से पर्दा हटा तो जाना, प्यार में थी वो किसी और के,
नजरों पे मत मरना मित्र, यहाँ पहले से ही हैं लोग किसी न किसी के।
क. बो.
नजरों पे मत मरना मित्र, यहाँ पहले से ही हैं लोग किसी न किसी के।
क. बो.
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