मत करो उदास
राह तेरी तकते-तकते,
थक गए हैं मेरे नयन,
सब्र और नहीं कर सकते,
दे दो अब तो दर्शन।
त्याग अहम्, परमार्थ की सजाये थाली,
सांसारिक प्रलोभनों से मुक्ति पाली,
पर अब भी मेरे हाथ हैं खाली,
ताकूँ तेरी ओर बनके सवाली,
जीवन बगिया के मेरे तुम ही माली,
सींचो बेचारी ये सूख रही डाली।
थक कर ये मन चूर है,
और मंजिल अब भी दूर है,
पाँव कमजोर मजबूर है,
घुप्प अँधेरे में, तू ही एक नूर है।
भर दो मुझमें तुम विशवास,
दुःख के बाद सुख का आभास,
गरीब हूँ मैं तेरा ही दास,
दे दो जगह अपने चरणों के पास,
मत छोड़ो यूँ मत करो उदास।
--क. बो.
२२. १२. २००५
राह तेरी तकते-तकते,
थक गए हैं मेरे नयन,
सब्र और नहीं कर सकते,
दे दो अब तो दर्शन।
त्याग अहम्, परमार्थ की सजाये थाली,
सांसारिक प्रलोभनों से मुक्ति पाली,
पर अब भी मेरे हाथ हैं खाली,
ताकूँ तेरी ओर बनके सवाली,
जीवन बगिया के मेरे तुम ही माली,
सींचो बेचारी ये सूख रही डाली।
थक कर ये मन चूर है,
और मंजिल अब भी दूर है,
पाँव कमजोर मजबूर है,
घुप्प अँधेरे में, तू ही एक नूर है।
भर दो मुझमें तुम विशवास,
दुःख के बाद सुख का आभास,
गरीब हूँ मैं तेरा ही दास,
दे दो जगह अपने चरणों के पास,
मत छोड़ो यूँ मत करो उदास।
--क. बो.
२२. १२. २००५